Russia Ukraine war: “putin” इतने ताकतवर कैसे बने | कैसे बने इतने बड़े रूस के तानशाह। जाने हिन्दी में totala2z

एक शख्स जिसका नाम दुनिया भर की मीडिया ले रही है नाम है व्लादिमीर “putin” जिन्होंने Ukrain पर हमला बोल दिया है। आप यह भी जानते है के वह रूस के राष्ट्रपति है। लेकिन सवाल यह है के कौन है “पुतिन”, किसकी सुनते है वह और कैसे वह इतने ताकतवर बने। साल 2000, तब से ही “putin” रूसी सत्ता में है। पिछले 22 साल में वह Russia के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति रहते चले आ रहे है। सोवियत के सबसे बड़े नेता और तानाशाह जो स्टालिन के बाद “putin” ऐसे नेता हुए है जो इतने लंबे वक्त से रूस की कमान संभाल रहे है।

“putin” रहेंगे आजीवन राष्ट्रपति

“putin” ने 2020 में ऐसा काम किया की कम से कम 2036 तक वह सत्ता में रहेंगे। रूस के संविधान के हिसाब से कोई व्यक्ति रूस का राष्ट्रपति लगातार सिर्फ 2 बार के लिए रह सकता था और 2024 तक “putin” के दोनो दौर खत्म हो जाते, लेकिन उन्होंने संविधान में ही बदलाव कर दिया। इस बदलाव के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वोटिंग भी हुई और आखिरकार “putin” जीते व अब Russia में राष्ट्रपति लगातर 4 बार के लिए रह सकते है। हालांकि इस वोटिंग पर रूस की विपक्षी पार्टियों ने धांधली का आरोप लगाया था।

“putin” एक खुफिया जासूस

केजीबी (kgb) सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी हुआ करती थी और “पुतिन” कभी सइसके जासूस भी हुआ करते थे। अभी “putin” के करीबी और दोस्त ऐसे लोग है जिनके खुफिया एजेंसियों से सम्बंध थे या है।

“putin” का राजनीतिक इतिहास

“putin” का राजनीतिक इतिहास 1990 के दशक में शुरू हुआ जब वह सेंट पीटर्सबर्ग के मेयर के उच्च सहायक बने। वर्ष 1997 में “putin” बन गए रूस के खुफिया एजेंसी एफएफबी के मुख्य। 1999 में Russia के तब के राष्ट्रपति बोरीस येल्टसिन ने इस्तीफा दे दिया और “पुतिन” को राष्ट्रपति बना दिया, यानी के अगले चुनाव तक उनकी जगह राष्ट्रपति बना दिया। लेकिन उसके बाद “putin” ने पीछे मुड़कर नही देखा और तब से लेकर आज तक रूस की कमान उनके हाथ में ही है। वह चुनाव जीतते भी है फिर चाहे उन पर वोट की धांधली के आरोप भी लगे।

“पुतिन” के आलोचक कहते है के “पुतिन” के लक्षणों से तो लगता है की वह सोवियत यूनियन की चाहत रखते है। वह दोबारा सोवियत के तर्ज पर मिलिट्री परेड लगवाने लगे। तानाशाह स्टालिन के पोस्टर जो कभी प्रतिबंधित कर दिए गए थे वह वापस रूस में दिखने लगे।

“putin” कहते रहे है की 1991 में सोवियत संघ का टूटना 20वी सदी की सबसे बड़ी भू-राजनैतिक तबाही थी। उन्हे यह बिल्कुल पसंद नहीं की नाटो (NATO) 1997 के बाद से Russia की सीमाओं पर आ पहुंचे। सन 1997 के बाद से ही कई देश नाटो में शामिल हुए है।

नाटो (NATO)

नाटो 30 देशों का एक रक्षा सहयोगी समूह है जिसका मकसद इनमे से किसी भी देश पर हुए हमले की स्तिथि में उस देश की मदद करना जिसपर हमला हुआ है।

Russia व नाटो (NATO) का मामला

नाटो की Russia की सीमाओं तक पहुंचने से “पुतिन” का मतलब यह है की लातविया, लिथुआनिया ,एस्टोनिया जैसे देश जिनकी बॉर्डर Russia से लगती है वह भी नाटो के सदस्य न बने। यह देश पहले से ही सोवियत संघ का हिस्सा थे। सन 1991 में सोवियत संघ टूटने के बाद अलग अलग देश बन गए। कहा तो यह भी जाता है की “पुतिन” वापस सोवियत युग लाना चाहते है, इन देशों को फिर से अपने में मिलना चाहते है।

इसीलिए इन देशों का नाटो में शामिल होना उन्हे अखरता है। क्योंकि अगर कल को इन देशों को रशिया अपने में शामिल करना चाहे तो रूस यह नहीं कर सकता। एसी स्तिथि में सभी नाटो सदस्य रूस के सामने आ खड़े होंगे। इसलिए व्लादिमीर यह मांग भी कर रहे है की 1997 के बाद जितने देश नाटो में शामिल हुए है वह किसी तरह नाटो से बाहर हो जाए। साल 2008 में “पुतिन” की सेना ने जॉर्जियन सेना को खदेड़कर 2 क्षेत्रों को कब्जे में ले लिया था। यह जॉर्जियो के राष्ट्रपति और व्लादिमीर की निजी लड़ाई थी और इसे जाहिर हुआ की “पुतिन” नेताओ को कैसे दबा सकते है।

Putin

क्रिमिया विवाद

2014 में भी Russia और Ukraine के बीच तनाव हो चुका है। तब Russia ने क्रिमिया को कब्जे में ले लिया था। सीरिया के गृहयुद्ध में “putin” बशर अल असद के पक्ष में खड़े हो चुके है। जहां पश्चिमी देश दूसरे पाले में खड़े थे। तो पश्चिमी देशों को चुनौती वो पहले से दे रहे है।

“putin” को लेकर रूस की जनता का रुख

“putin” ने शुरू से ही अपने व्यक्तित्व पर ध्यान दिया जैसे कभी वह फाइटर जेट उड़ाते है, कभी बाइकर बन जाते है और सत्ता में आने के बाद सबसे पहला काम मीडिया को काबू करने का है, बल्कि कहा यह जाता है की Russia के नागरिक वही देखते है जो वो चाहते है। Russia मीडिया में उनके हित की खबरे चलाई जाती है। इससे “पुतिन” के विरोध कोन है यह पता करना मुश्किल है, इसके बाद भी उनकी लोकप्रियता पुरानी पीढ़ी में देखने को मिलती है। युवा लोग “putin” युग में ही पले बढ़े है, वह बदलाव देखना चाहते है।


जनवरी 2021 में “putin” के आलोचक एलेक्सी नवलनी को जब गिरफ्तार किया गया तो नवालनी के लिए पूरे देश में प्रदर्शन हुए, पिछले कई सालों से Russia ने इतना बड़ा प्रदर्शन नहीं देखा था। नवलनी ने “putin” की पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे लेकिन नवलनी को एक पुराने घपले के मामले में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। वो इस वक्त जेल में सजा काट रहे है। अगस्त में उनपर जहर से हमला हुआ था, इसका आरोप “putin” की खुफिया एजेंसियों पर लगाया गया लेकिन वल्दीमीर इन आरोपों को खारिज करते है। माना जाता है की “putin” के पास काफी संपत्ति है लेकिन वह उनके परिवार और पैसे को सार्वजनिक करने से बजते है।

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