Gangubai Kathiawadi movie | gangubai alia bhatt | गंगुबाई काठियावाड़ी की कहानी | कैसे बनी अंडरवर्ल्ड की डॉन जाने हिंदी में totala2z

अजमेर, राजस्थान।

जैसा की आप सब जानते है की आलिया भट्ट और संजय लीला भंसाली की नई फिल्म रिलीज हो चुकी है जिसका नाम है “गंगुबाई काठ्यावाडी”, इसमें मुख्य रोल में gangubai alia bhatt है और संजय लीला भंसाली ने खुद इसे डायरेक्ट किया है। फिल्म सिनेमाघरों में काफी अच्छी कमाई कर रही है। फिल्म के पोस्टर जगह जगह देखे जा सकते है। पोस्टर में माफिया क्वीन के किरदार की आलिया भट्ट को देखा गया है। फिल्म में चित्रित आखिर यह माफिया क्वीन थी कौन, आज हम जानेंगे यह सब जानकारी।

विवरण:

संजय लीला भंसाली की चर्चित फिल्म गंगू भाई कठ्यावाडी एक बार फिर सुर्खियों में है। फिल्म लॉन्च हो चुकी है। यह फिल्म उस “gangubai alia bhatt” पर आधारित है जो 1960 के दशक में मुंबई के कमाठीपुरा में वैश्याल्य चलाती थी। gangubai alia bhatt

gangubai alia bhatt

फिल्म gangubai alia bhatt

निर्देशन संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित
स्टोरी हुसैन जैदी
अभिनीत gangubai alia bhatt
उत्पादन कंपनियां भंसाली प्रोडक्शंस पेन इंडिया
वितरित पेन मरुधर एंटरटेनमेंट द्वारा
रिलीज़ 16 फरवरी 2022 (बर्लिनेल)
25 फरवरी 2022 (भारत)
समय 154 मिनट
भाषा हिंदी
बजट ₹100-160 करोड़

आधारित किताब “माफिया क्वींस ऑफ मुंबई”

फिल्म माफिया क्वींस ऑफ मुंबई (mafia queens of Mumbai) नाम की किताब पर आधारित है जिसे एस हुसैन जैदी और जेन बोरगस ने लिखा है।

गंगूबाई का शुरूआती जीवन। gangubai alia bhatt

“गंगुबाई” का असली नाम “गंगा हरजीवन दास काठियावाड़ी” था। उनका जन्म गुजरात के कठ्यावाड में हुआ था और वो वही पाली बढ़ी थी। सह लेखक एस हुसैन जैदी गंगुबाई के बारे में कई चीजे विस्तार से बताते है। “गंगुबाई” कोठा चलती थी। उन्हे धोखा देकर इस धंधे में लाया गया था वो कठ्यावाड के संपन्न परिवार से थी। परिवार के लोग पढ़े लिखे और वकालत से जुड़े थे।

कैसे जुड़ी “गंगुबाई” वैशल्यो से। gangubai alia bhatt

गंगा को रामडीकललाल नाम के एक अकाउंटेंट से प्यार हो गया था। उनका परिवार इस रिश्ते के लिए राजी नहीं था तो वो मुंबई भाग आई लेकिन उस आदमी ने उन्हें धोखा दिया और कमाठीपुरा में बेच दिया,तब उन्हें अहसास हुआ के अब वो अपने परिवार के पास वापस नहीं लौट सकती। क्योंकि उनका परिवार उन्हे स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए उन्होंने हालात को अपनाया और बतौर सेक्स वर्कर काम करने लगी।

क्या “गंगुबाई” अंडरवर्ल्ड में शामिल थी?

वो कोई गैंगस्टर नही थी वो अंडरवर्ल्ड का हिस्सा भी नही थी लेकिन ऐसे धंधे में थी जिसे नीची नजरो से देखा जाता था। जेसे जेसे वक्त गुजरा, वो कमाठीपुरा रेड लाइट एरिया की प्रमुख बन गई। इस तरह से वह पहले गंगा से गंगू बनी और फिर गंगू से मैडम बन गई। “gangubai alia bhatt” ने कमाठीपुरा में हुए घरेलू चुनाव में हिस्सा लिया और जीत हासिल की फिर वह गंगू सेक्स वर्कर से “गंगुबाई कठ्यवाडी” बन गई।

“कठ्यावाडी” नाम के पीछे की कहानी। gangubai alia bhatt

काठ वाली दरअसल कोठे वाली से जुड़ा है। कोठे का मतलब है वैश्याल्या और कोठे की प्रमुख को कोठेवाली कहा जाता है। उनके नाम से जुड़ा कठ्यावाडी यह दिखाता था के उनके परिवार से कैसा जुड़ाव था। साल 1960 और 1970 के दशक मे गंगुबाई का कमाठीपुरा में काफी नाम रहा वो अन्य सेक्स वर्कर्स के लिए मां की तरह थी उन्होंने कोठा चलाने वाली मैडमो का प्रभाव खत्म कर दिया।

“गंगुबाई” की पहचान । gangubai alia bhatt

“गंगुबाई” सुनहरे किनारे वाली सफेद साड़ी सुनहरे बटन वाला ब्लाउज और सुनहरा चश्मा भी पहनती थी। वो कार से चला करती थी। उन्हे सोने से बनी चीज पहनने का बहुत शौक था, बचपन में उनका सपना अभिनेत्री बनने का था। बाद के सालो में भी फिल्मी दुनिया में उनकी दिलचस्पी बनी रही। उन्होंने एसी कई लड़कियों को घर वापस भेजने में मदद की जिन्हे धोखा देकर वैशाल्य में बेचा गया था। वो इस काम से जुड़ी महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी काफी सजग थी। उन्होंने उन महिलाओं के साथ हुए अन्य के खिलाफ आवाज उठाई और उन लोगो के खिलाफ भी कदम उठाए जिन्होंने इन महिलाओं का शोषण किया। उनका एक यह नजरिया था की शहरो में सेक्स वर्कर्स के लिए जगह उपलब्ध कराई जानी चाहिए। मुंबई के आजाद मैंदान में महिला सशक्तिकरण और महिला अधिकारों के लिए आयोजित रैली में उनका भाषण काफी चर्चा में रहा था। गंगुबाई की मौत के बाद कई वैशाल्यो में उनकी तस्वीर लगाई हुई और उनकी मूर्तियां भी बनवाई गई।

अंडरवर्ल्ड से गंगूबाई के संबंध।

कमाठीपुरा में हुई एक घटना के बाद गंगुबाई का दबदबा और बढ़ गया। एक पठान ने वैशाल्य में “गंगुबाई” से बदसलुखी की, उसने उनके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की व उन्हे चोट पहुंचाई और पैसे नही दिए। यह लगातार होता रहा व एक बार तो उन्हे अस्पताल में भर्ती करने की स्तिथि बन गई तब उन्होंने उस पठान के बारे में जानकारी जुटाई तो उन्हे पता चला की पठान शौकत खान नाम के इस शख्स का ताल्लुक था करीम लाला की गैंग से। अब्दुल करीम खान को अंडरवर्ल्ड में लोग करीम लाल के नाम से जानते थे। “गंगुबाई” करीम लाला के पास गई और उन्हें वो सब कुछ बताया जो उनके साथ हो रहा था। करीम लाला ने “गंगुबाई” को सुरक्षा देने का वादा किया और अगले दिन जब शौकत खान वैशाल्या पहुंचा तो उसकी जमकर पिटाई हुई। करीम लाला ने “गंगुबाई” को अपनी बहन बना लिया और इसीके साथ “गंगुबाई” का दबदबा इस इलाके में काफी बढ़ गया।

प्रधानमंत्री नेहरू से “गंगुबाई” की मुलाकात का किस्सा।

1960 के दशक में कमाठीपुरा में सेंट एथनिक गर्ल्स हाई स्कूल शुरू हुआ और इसके साथ ही आवाज उठने लगी के वैशल्या को बंद किया जाना चाहिए क्योंकि वैशाओ के आसपास होने का बुरा असर छोटे बच्चो पर पड़ सकता था। इस फैसले का असर कमाठीपुरा में करीब एक सदी से काम कर रही महिलाओं पर पड सकता था। “गंगुबाई” ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और इसे आगे ले जाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। अपने राजनीतिक परिचितों की मदद से उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने के लिए वक्त मांगा। हालांकी यह मीटिंग आधिकारिक तौर पर कही दर्ज नहीं हुई लेकिन एस हुसैन जैदी ने अपनी किताब में इस किस्से का जिक्र किया है। जैदी ने माफिया क्वींस ऑफ मुंबई में लिखा के इस मुलाकात में “गंगुबाई” की सजगता और स्पष्ट विचारो से नेहरू भी हैरान रह गए। नेहरू ने उनसे सवाल किया था की वो धंधे में क्यों आई जबकि उन्हें अच्छी नौकरी या अच्छा पति मिल सकता था।
ऐसा कहा जाता है के “गंगुबाई” ने उसी मुलाकात में तुरंत नेहरू के सामने प्रस्ताव रखा। उन्होंने नेहरू से कहा कि अगर वो उन्हे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार है तो वो यह धंधा हमेशा के लिए छोड़ देंगी। इस बात से नेहरू दंग रह गए। उन्होंने “गंगुबाई” के बयान से असहमति जताई और तब “गंगुबाई” ने कहा प्रधानमंत्री जी नाराज मत होइए। मै सिर्फ अपनी बात साबित करना चाहती थी क्योंकि सलाह देना आसान है लेकिन उसे खुद अपनाना मुश्किल है। नेहरू ने इसके खिलाफ कुछ नही कहा। मुलाकात खतम होने पर नेहरू ने “गंगुबाई” से वादा किया की वो उनकी मांगों पर ध्यान देंगे। प्रधानमंत्री ने जब खुद इस पर हस्तक्षेप किया तो कमाठीपुरा से वैश्याओ को हटाने का काम कभी नहीं हो पाया।

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